Wednesday, February 28, 2018

भजन- संतो शब्द भेद न पवल

               भजन- संतो शब्द भेद न पवल 


                            संतो शब्द भेद न पावल || टेक ||
             गेरुआ पहिन के भेष बनवल ,  साधू तू त  कहिअल || 

         सगरी तीरथ तुही  घूमी आयिल , बैला घुमेला जैसे घानी | 
         कर्ता  में करतार बसतु है , सेवा ही पहिचानी  || 

         हाथ कमंडल बगल में सोटा , नगर घूमे जैसे भइसा | 
         खलना  ऊपर भूमि रमवाल , मन जैसा के तैसा || 

          पंछी के खोज मीन के मारग , अनुरागी लवलीना | 
           कहे कबीर सुन गोरख योगी , यह मारग  अति भीना || 
 

                        

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