भजन- संतो शब्द भेद न पवल
संतो शब्द भेद न पावल || टेक ||
गेरुआ पहिन के भेष बनवल , साधू तू त कहिअल ||
सगरी तीरथ तुही घूमी आयिल , बैला घुमेला जैसे घानी |
कर्ता में करतार बसतु है , सेवा ही पहिचानी ||
हाथ कमंडल बगल में सोटा , नगर घूमे जैसे भइसा |
खलना ऊपर भूमि रमवाल , मन जैसा के तैसा ||
पंछी के खोज मीन के मारग , अनुरागी लवलीना |
कहे कबीर सुन गोरख योगी , यह मारग अति भीना ||
संतो शब्द भेद न पावल || टेक ||
गेरुआ पहिन के भेष बनवल , साधू तू त कहिअल ||
सगरी तीरथ तुही घूमी आयिल , बैला घुमेला जैसे घानी |
कर्ता में करतार बसतु है , सेवा ही पहिचानी ||
हाथ कमंडल बगल में सोटा , नगर घूमे जैसे भइसा |
खलना ऊपर भूमि रमवाल , मन जैसा के तैसा ||
पंछी के खोज मीन के मारग , अनुरागी लवलीना |
कहे कबीर सुन गोरख योगी , यह मारग अति भीना ||
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