Wednesday, February 28, 2018

भजन - बलशाली बलिया में निकला

            भजन - बलशाली बलिया में निकला

              बलशाली बलिया में निकला , एक सूरज चमकीला | 
               सद्गुरु पद पाया है उसने , देखो उसकी लीला || 

                 मुनि स्कम्भ पिता है उनके , माता मुक्ति देवी | 
                ब्रह्मलोक कैसा है सुन लो , उनकी आँखों देखी || 

               लुप्त गुप्त सी ब्रह्म विद्या को , पुरुषार्थ के बल पर | 
               खोज निकाला वर्तमान में , न कुछ छोड़ा कल पर || 

                नित्य षष्ठ वस्तु से बनती , यह सृष्टि यह दुनिया | 
                कर्म चक्र में फसा हुआ है , क्या पापी क्या पुनिया || 

                बंधन में जब पड़ा राष्ट्र था , और पड़ी थी आत्मा | 
                 धरा धाम पर प्रकट हो गए , सद्गुरु बन परमात्मा || 

                  योग विहंगम सर्वश्रेष्ठ है , यही एक है राह | 
                  शीश झुकाओ सब ले जाओ , पूरी कर लो चाह || 

                   मन को रोको धोवो उसको , भेजो नवम कमल में | 
                   मोह निशा को त्याग के बैठो , सद्गुरु चरण कमल में || 
               
                  खुद को देखो ब्रह्म मिलेगा , सीखो सद्गुरु युक्ति | 
                  गुरु कृपा से सहज मिलेगी , दोनों भक्ति मुक्ति || 

                  कुछ न दुर्लभ कहा गुरु ने , खोजा योग विहंगम | 
                  अंतिम लक्ष्य बनाया उसने , जीव ब्रह्म का संगम || 

                 जीते जी ही मुक्ति संभव , छोड़ो आना जाना | 
                 गुरु आज्ञा में रह कर सीखो , अंतर ध्यान लगाना || 

                यह सन्देश दिया गुरु ने , बन गया संत समाज | 
                धूम मची है अखिल विश्व में , ब्रह्म विद्या की आज || 

                 धन्य कर दिया वंश श्रृंगी का , पकड़ी का यह लाल | 
                 हमे पकड़ के कभी न छोड़े , छुए कभी न काल || 


No comments:

Post a Comment

मेरा रक्षक महाप्रभु हैं

ये तो सर्व-विदित हैं की सदगुरु अपने शिष्यों पर सदा दया रखते हैं एवं उनका योग क्षेम पूरा करते हैं।  इसका अनुभव अपने जीवन में घटित कुछ ऐसी घट...