भजन- मन की तरंग मार लो
मन की तरंग मार लो , बस हो गया भजन |
आदत बुरी सुधार लो , बस हो गया भजन ||
आये हो तुम कहाँ से, जाओगे तुम कहाँ |
इतना तो दिल विचार लो , बस हो गया भजन ||
कोई तुम्हे बुरा कहे , तुम सुन करो क्षमा |
वाणी का सर सम्हार लो , बस हो गया भजन ||
नेकी सभी के साथ में , बन जाय तो करो |
मत सिर बंदी का भार लो , बस हो गया भजन ||
पथ मथ के वाणियों को , मित्र साधू संग में |
निकाल सार सार लो , बस हो गया भजन ||
इस जगत का कर्त्ता , भला देखा है कहाँ |
इस कल्पना को मार लो , बस हो गया भजन ||
सिद्धांत साफ़ साफ़ है , सद्गुरु कबीर का |
निज रूप हंस सार लो , बस हो गया भजन ||
मन की तरंग मार लो , बस हो गया भजन |
आदत बुरी सुधार लो , बस हो गया भजन ||
आये हो तुम कहाँ से, जाओगे तुम कहाँ |
इतना तो दिल विचार लो , बस हो गया भजन ||
कोई तुम्हे बुरा कहे , तुम सुन करो क्षमा |
वाणी का सर सम्हार लो , बस हो गया भजन ||
नेकी सभी के साथ में , बन जाय तो करो |
मत सिर बंदी का भार लो , बस हो गया भजन ||
पथ मथ के वाणियों को , मित्र साधू संग में |
निकाल सार सार लो , बस हो गया भजन ||
इस जगत का कर्त्ता , भला देखा है कहाँ |
इस कल्पना को मार लो , बस हो गया भजन ||
सिद्धांत साफ़ साफ़ है , सद्गुरु कबीर का |
निज रूप हंस सार लो , बस हो गया भजन ||
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