Wednesday, February 28, 2018

भजन - ये विहंगम योग मित्रो

                  भजन - ये विहंगम योग मित्रो  

                ये विहंगम योग मित्रो , प्रभु देख दिव्या नेत्रों | 
                अनुभव में ज्ञान दरशे , आनंद ज्ञान परशे || 

                है अनूप चाल ताहि , मैं सिद्ध लाभ जाहि | 
                ये अमूल्य तत्त्व ज्ञाना , कोई संत भेद जाना || 

                 नहीं चक्रो की कहानी , मुद्रा न पंच  मानी | 
                 नहीं ओहम सोऽहं ज्ञाना , नहीं ररंरकार माना || 

                  अनहद तत्व पारा , क्षर  ज्योतिओं से न्यारा | 
                   सुष्मन है जहाँ रानी , नहीं इंगला पिंगला वाणी || 

                   ये ब्रह्माण्ड पिण्ड नाही , न बेहद दह माहि | 
                   ये देश चेतन भाति , नहीं होये दिन व राती || 

                   महानद्य अमिय जानो , तुम देखि सत्य मानो | 
                   'सदाफल ' मुक्ति पाओ , आनंद मठ बनाओ || 
 

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