भजन - ये विहंगम योग मित्रो
ये विहंगम योग मित्रो , प्रभु देख दिव्या नेत्रों |
अनुभव में ज्ञान दरशे , आनंद ज्ञान परशे ||
है अनूप चाल ताहि , मैं सिद्ध लाभ जाहि |
ये अमूल्य तत्त्व ज्ञाना , कोई संत भेद जाना ||
नहीं चक्रो की कहानी , मुद्रा न पंच मानी |
नहीं ओहम सोऽहं ज्ञाना , नहीं ररंरकार माना ||
अनहद तत्व पारा , क्षर ज्योतिओं से न्यारा |
सुष्मन है जहाँ रानी , नहीं इंगला पिंगला वाणी ||
ये ब्रह्माण्ड पिण्ड नाही , न बेहद दह माहि |
ये देश चेतन भाति , नहीं होये दिन व राती ||
महानद्य अमिय जानो , तुम देखि सत्य मानो |
'सदाफल ' मुक्ति पाओ , आनंद मठ बनाओ ||
ये विहंगम योग मित्रो , प्रभु देख दिव्या नेत्रों |
अनुभव में ज्ञान दरशे , आनंद ज्ञान परशे ||
है अनूप चाल ताहि , मैं सिद्ध लाभ जाहि |
ये अमूल्य तत्त्व ज्ञाना , कोई संत भेद जाना ||
नहीं चक्रो की कहानी , मुद्रा न पंच मानी |
नहीं ओहम सोऽहं ज्ञाना , नहीं ररंरकार माना ||
अनहद तत्व पारा , क्षर ज्योतिओं से न्यारा |
सुष्मन है जहाँ रानी , नहीं इंगला पिंगला वाणी ||
ये ब्रह्माण्ड पिण्ड नाही , न बेहद दह माहि |
ये देश चेतन भाति , नहीं होये दिन व राती ||
महानद्य अमिय जानो , तुम देखि सत्य मानो |
'सदाफल ' मुक्ति पाओ , आनंद मठ बनाओ ||
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