यज्ञ प्रार्थना
यज्ञ रूप प्रभो हमारे , भाव उज्जवल कीजिये |
छोड़ दे वे छल कपट को , मानसिक बल दीजिये ||
वेद की बोले ऋचाएँ , सत्य को धारण करें |
हर्ष में हों मग्न सारे , शोक सागर से तरें ||
अश्व मेधादिक रचाएं ,यज्ञ पर उपकार को |
धर्म मर्यादा चला कर , लाभ दें संसार को ||
नित्य श्रद्धा भक्ति से , यज्ञादि हम करते रहे |
रोग पीड़ित विश्व के , संताप सब हारते रहे ||
भावना मिट जाए मन से , पाप अत्याचार की |
कामनाएं पूर्ण होवें , यज्ञ से नर-नारी की ||
लाभकारी हो हवन , हर जीवधारी के लिये |
वायु जल सर्वत्र हो , शुभ गंध को धारण किये ||
स्वार्थ भाव मिटे हमारा , प्रेम पथ विस्तार हो |
'इदं न मम:' का सार्थक , प्रत्येक में व्यव्हार हो ||
प्रेम रस में लीन हो कर, वंदना हम कर रहे |
हाथ जोड़ झुकाये मस्तक , प्रार्थना हम कर रहे ||
नाथ करुणा रूप करुणा , आप की सब पर रहे |
पूज्यनीय प्रभु हमारे , भाव उज्जवल कीजिये ||
यज्ञ रूप प्रभो हमारे , भाव उज्जवल कीजिये |
छोड़ दे वे छल कपट को , मानसिक बल दीजिये ||
वेद की बोले ऋचाएँ , सत्य को धारण करें |
हर्ष में हों मग्न सारे , शोक सागर से तरें ||
अश्व मेधादिक रचाएं ,यज्ञ पर उपकार को |
धर्म मर्यादा चला कर , लाभ दें संसार को ||
नित्य श्रद्धा भक्ति से , यज्ञादि हम करते रहे |
रोग पीड़ित विश्व के , संताप सब हारते रहे ||
भावना मिट जाए मन से , पाप अत्याचार की |
कामनाएं पूर्ण होवें , यज्ञ से नर-नारी की ||
लाभकारी हो हवन , हर जीवधारी के लिये |
वायु जल सर्वत्र हो , शुभ गंध को धारण किये ||
स्वार्थ भाव मिटे हमारा , प्रेम पथ विस्तार हो |
'इदं न मम:' का सार्थक , प्रत्येक में व्यव्हार हो ||
प्रेम रस में लीन हो कर, वंदना हम कर रहे |
हाथ जोड़ झुकाये मस्तक , प्रार्थना हम कर रहे ||
नाथ करुणा रूप करुणा , आप की सब पर रहे |
पूज्यनीय प्रभु हमारे , भाव उज्जवल कीजिये ||
जय सदगुरुदेव
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