हे दयामय भक्त-वत्सल
हे दयामय भक्त-वत्सल , भक्त निज अवलोकिये |
चलते धरातल लोक हित जन , सब कला से पोखिये ||
शांतिमय परचार मधुमत , दुष्ट जन को रोकिये |
भक्त सज्जन पाव गम गति , जाती मानव पोखिये ||
फल फूल सज्जित बाग़ उपवन , ध्यात्म शोभा देखिये |
जन सदाफल सत्यव्रत , संसार जीवन लेखिये ||
हे दयामय भक्त-वत्सल , भक्त निज अवलोकिये |
चलते धरातल लोक हित जन , सब कला से पोखिये ||
शांतिमय परचार मधुमत , दुष्ट जन को रोकिये |
भक्त सज्जन पाव गम गति , जाती मानव पोखिये ||
फल फूल सज्जित बाग़ उपवन , ध्यात्म शोभा देखिये |
जन सदाफल सत्यव्रत , संसार जीवन लेखिये ||
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