भजन - प्रभु जी भक्ति अचल मोहि दीजै
प्रभु जी भक्ति अचल मोहि दीजै || टेक ||
ना मैं मुक्ति भुक्ति कर इक्षुक , ना मैं कर्म करीजै |
जीवन प्राण आधार होये गति , ज्यों जल मीनहीं कीजै ||
चातक प्रण तजि सर्प मणि तजि , कामी तजि प्रिय निजे |
नीति निरतिशय प्रीती निरंतर , मैं ना तजो अस कीजै ||
दृश्य अचीदलय चेतन दरशे , सुरति निरतिशय रस भींजै |
सदाफल दीन अनन्य शरण हूँ , यश निति तस कीजै ||
प्रभु जी भक्ति अचल मोहि दीजै || टेक ||
ना मैं मुक्ति भुक्ति कर इक्षुक , ना मैं कर्म करीजै |
जीवन प्राण आधार होये गति , ज्यों जल मीनहीं कीजै ||
चातक प्रण तजि सर्प मणि तजि , कामी तजि प्रिय निजे |
नीति निरतिशय प्रीती निरंतर , मैं ना तजो अस कीजै ||
दृश्य अचीदलय चेतन दरशे , सुरति निरतिशय रस भींजै |
सदाफल दीन अनन्य शरण हूँ , यश निति तस कीजै ||
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