Monday, March 12, 2018

जय स्वर्वेद कथा

                          जय स्वर्वेद कथा 

     जय स्वर्वेद कथा , जय स्वर्वेद कथा || 
 श्रवण मात्र  से मिट जाती है , अन्तर्मन की व्यथा || 
देव सदाफल के अनुभव का , जो रसपान कराती | 
शिष्य सभी वे धन्य जिन्हे , मिल जाती गुरु की स्वाति || 
सद्गुरु कृपा की धार बहा जो , देती सबको जगा | 
            जय स्वर्वेद कथा। .... || 
सत्य असत्य का बोध करा जो , ब्रह्मज्ञान बतलाती | 
तत्वज्ञान धारा  से जुड़कर , मानवता सुख पाती | 
इसकी महिमा अकह अलौकिक , अद्भुत शब्द छटा || 
             जय स्वर्वेद कथा। ...... || 
संतप्रवर विज्ञानदेव को , सद्गुरु का संकेत मिला | 
वर्तमान गुरुदेव दया से , कथा-चमन में सुमन खिला | 
आये हम सब एक साथ मिल , सुन ले महाकथा || 
          जय स्वर्वेद कथा। .......|| 
ब्रह्मविद्या प्रचार कार्य को , जो जग में फैलाएगा | 
सद्गुरु कृपा का अधिकारी बन , वही शिष्य कहलायेगा | 
अ  अंकित इस श्वेत ध्वजा से, धन्य हो यह वसुधा | 
           जय स्वर्वेद कथा |.........||  

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