हंसा जगमग जगमग होइ।
बिनु बादल जहँ बिजुली चमकै, अमृत वर्षा होइ ।
ऋषि मुनि देव करे रखवाली, पिवै न पावे कोई ।।
रात दिवस जहां अनहद बाजै, धुनि सुनी आनंद होइ ।
ज्योति बरे सहिबकै निसु दिन , तकि तकि रहत समोई।।
सार शब्द की धुनि उठत है , बुझै बिरला कोई ।
झरना झरै जूह के नाके , पियत अमर पद होइ ।।
साहिब कबीर मिलै विदेही , चरनन भक्त समोई ।
चेतनवाला चेत पियारे, नही तो जात बहोइ ।।
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