Monday, May 7, 2018

हंसा जगमग जगमग होइ

 हंसा जगमग जगमग होइ।

बिनु बादल जहँ बिजुली चमकै, अमृत वर्षा होइ ।
ऋषि मुनि देव करे रखवाली, पिवै न पावे कोई ।।

रात दिवस जहां अनहद बाजै, धुनि सुनी आनंद होइ ।
ज्योति बरे सहिबकै निसु दिन , तकि तकि रहत समोई।।

सार शब्द की धुनि उठत है , बुझै बिरला कोई ।
झरना झरै जूह के नाके , पियत अमर पद होइ ।।

साहिब कबीर मिलै विदेही , चरनन भक्त समोई ।
चेतनवाला चेत पियारे, नही तो जात बहोइ ।।

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