Monday, March 12, 2018

भजन - अपनी भगतिया सद्गुरु साहेब

        भजन - अपनी भगतिया सद्गुरु साहेब 

अपनी भगतिया सद्गुरु साहेब, मोहे कृपा कर देहुँ हो |  
 जुगन जुगन भव  भटकत बीते , अब भव बाहर लेहुँ हो || 

पशु पक्षी कृमि आदिक योनिन , में भरमेउ बहु बार हो |
 नर तन  अबहीं कृपा कर दीन्हों , अब करो प्रभु उबार हो || 

 हरहुं भव-दुःख देहुँ अमर सुख, सर्वदाता सर्वरक्ष हो | 
जो तुम चाहीहूँ होई है सोई , सब कुछ तुम्हरे हाथ हो || 

करहुं अनुग्रह प्रीतम साहब , तुम अंशक मैं अंश हो | 
तुम सूरज मैं किरण तुम्हारी , तुम वंशक मैं वंश हो || 

 मोहि तो इतनेही  भेद हो साहेब , यही भेद दुःख मूल हो | 
करो कृपा न सो यह भेद ही , हो अति अनुकूल हो ||

आस त्रास भय भाव सकल ही , मम मन कर चक्रजाल हो | 
सकल समिति तुम्हरो पद लागे , मेहि के यही अर्ज हाल हो || 
 

जय स्वर्वेद कथा

                          जय स्वर्वेद कथा 

     जय स्वर्वेद कथा , जय स्वर्वेद कथा || 
 श्रवण मात्र  से मिट जाती है , अन्तर्मन की व्यथा || 
देव सदाफल के अनुभव का , जो रसपान कराती | 
शिष्य सभी वे धन्य जिन्हे , मिल जाती गुरु की स्वाति || 
सद्गुरु कृपा की धार बहा जो , देती सबको जगा | 
            जय स्वर्वेद कथा। .... || 
सत्य असत्य का बोध करा जो , ब्रह्मज्ञान बतलाती | 
तत्वज्ञान धारा  से जुड़कर , मानवता सुख पाती | 
इसकी महिमा अकह अलौकिक , अद्भुत शब्द छटा || 
             जय स्वर्वेद कथा। ...... || 
संतप्रवर विज्ञानदेव को , सद्गुरु का संकेत मिला | 
वर्तमान गुरुदेव दया से , कथा-चमन में सुमन खिला | 
आये हम सब एक साथ मिल , सुन ले महाकथा || 
          जय स्वर्वेद कथा। .......|| 
ब्रह्मविद्या प्रचार कार्य को , जो जग में फैलाएगा | 
सद्गुरु कृपा का अधिकारी बन , वही शिष्य कहलायेगा | 
अ  अंकित इस श्वेत ध्वजा से, धन्य हो यह वसुधा | 
           जय स्वर्वेद कथा |.........||  

मेरा रक्षक महाप्रभु हैं

ये तो सर्व-विदित हैं की सदगुरु अपने शिष्यों पर सदा दया रखते हैं एवं उनका योग क्षेम पूरा करते हैं।  इसका अनुभव अपने जीवन में घटित कुछ ऐसी घट...